आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिर्फ एक फैशन या चर्चा का विषय नहीं रह गया है। यह अब पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत की शिक्षा व्यवस्था को भी तेजी से बदल रहा है। डिजिटल लर्निंग टूल्स के बढ़ते उपयोग से AI ने क्लासरूम्स को पहले से कहीं ज्यादा पर्सनलाइज्ड, सुलभ और प्रभावी बना दिया है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि भारत के स्कूलों और कोचिंग प्लेटफॉर्म्स में AI का कैसे उपयोग हो रहा है, इससे क्या फायदे मिल रहे हैं, और आने वाला भविष्य कैसा हो सकता है।
1. हर बच्चे के लिए अलग सीखने का अनुभव
AI की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह हर बच्चे की जरूरत के अनुसार पढ़ाई को पर्सनलाइज कर देता है। जैसे BYJU’S, Toppr और Vedantu जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स AI की मदद से बच्चों की समझ और कमजोरी को पहचानते हैं और उसी हिसाब से कंटेंट दिखाते हैं।
अगर कोई बच्चा गणित में कमजोर है, तो AI उस पर ध्यान देता है और उससे जुड़ी एक्सरसाइज और वीडियो दिखाकर उसे मजबूत करता है। इससे हर बच्चा अपनी रफ्तार से बेहतर सीख पाता है।
2. स्मार्ट कंटेंट और डिजिटल किताबें
अब किताबें भी स्मार्ट होती जा रही हैं। Meritnation और Extramarks जैसे प्लेटफॉर्म्स एनिमेशन, क्विज़ और सिमुलेशन के जरिए विषयों को आसान और रोचक बना रहे हैं। AI की मदद से कठिन टॉपिक को छोटे-छोटे हिस्सों में समझाया जा रहा है।
कुछ स्कूल तो अब AI से बनी ऑटोमेटिक नोट्स और सारांश भी दे रहे हैं, जिससे बच्चों को समझने में आसानी होती है।
3. ऑटोमैटिक ग्रेडिंग और फीडबैक
शिक्षकों को कॉपियों की जांच में काफी समय लगता है, लेकिन AI इस काम को बहुत हद तक आसान बना देता है। Eklavvya और ConductExam जैसे टूल्स मल्टीपल चॉइस सवालों के साथ-साथ सब्जेक्टिव आंसर की भी जांच कर सकते हैं।
इससे टीचर्स को बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताने का मौका मिलता है और बच्चों को तुरंत फीडबैक मिल जाता है।
4. AI चैटबॉट्स से तुंरत सहायता
अब कई स्कूल और एजुकेशनल ऐप्स AI चैटबॉट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो बच्चों के सवालों का तुरंत जवाब देते हैं। DoubtNut और Unacademy का "Guru" जैसे चैटबॉट्स बच्चों के डाउट्स क्लियर करने में मदद करते हैं।
इससे बच्चों को टीचर के फ्री होने का इंतज़ार नहीं करना पड़ता—24x7 मदद मिलती है।
5. ड्रॉपआउट रोकने में मददगार
भारत में खासकर ग्रामीण इलाकों में पढ़ाई बीच में छोड़ने (ड्रॉपआउट) की समस्या आम है। AI की मदद से स्कूल यह पहचान सकते हैं कि कौन-से बच्चे खतरे में हैं। AI अटेंडेंस, परफॉर्मेंस और व्यवहार के आधार पर रिपोर्ट देता है, जिससे स्कूल समय रहते मदद कर सकते हैं।
Microsoft का “AI for Education” जैसे प्रोजेक्ट्स भारत में ऐसे कई स्कूलों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
6. भाषा सीखने में सहायक
भारत में 22 से ज्यादा आधिकारिक भाषाएं हैं। ऐसे में भाषा एक बड़ी चुनौती है। Duolingo और Hello English जैसे AI बेस्ड ऐप्स की मदद से बच्चे नई भाषाएं आसानी से सीख सकते हैं।
कुछ सरकारी स्कूल तो AI अनुवाद टूल्स का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे बच्चे अपनी क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई कर सकें।
7. वर्चुअल लैब और AI ट्यूटर
हर स्कूल में साइंस लैब नहीं होती, लेकिन OLabs जैसे प्लेटफॉर्म्स वर्चुअल लैब की सुविधा देते हैं, जहां छात्र ऑनलाइन प्रयोग कर सकते हैं।
AI ट्यूटर भी अब बच्चों को एक-एक करके गाइड कर रहे हैं, जिससे उन्हें कठिन टॉपिक समझने में आसानी होती है।